इंदौर। कोविड काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए जिला प्रशासन सहारा बनने जा रहा है। पिछले वर्ष की तर्ज पर ही बच्चों को न केवल कपड़ा-किताबें, स्कूल बैग, स्टेशनरी उपलब्ध कराई जाएगी, बल्कि ऐसे बच्चे जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण स्कूल की फीस भरने में भी असमर्थ हैं, उन्हें भी राहत दी जाएगी। 196 अनाथ बच्चों को सहारा देने का प्रयास पहले भी केंद्र सरकार और जिला प्रशासन ने किया था। इसके लिए बालिका एवं बालक संरक्षण गृह में इन्हें रखा गया था।
बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठाएंगे,स्कूल बैग,स्टेशनरी के साथ फीस भरने की भी पहल |
कोरोना काल में ऐसे 96 बच्चे, जो अनाथ हो गए थे, माता-पिता की मौत के बाद मानसिक एवं आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनकी परेशानियां कम करने के लिए जिला प्रशासन सहारा बनता जा रहा है। जिला प्रशासन ने नए सत्र की शुरुआत होते ही बच्चों के लिए अपनी ओर से कपड़ा-किताब, स्कूल बैग, स्टेशनरी एवं फीस भरने का खर्च, बल्कि अपने परिवार एवं सहारा देने वाली महिला एवं पुरुष कार्यकर्ताओं को भी इस पहल के लिए प्रेरित किया है। इस पहल में 96 अनाथ बच्चों को राहत मिलेगी।
सरकार का भी मिल रहा वात्सल्य
कोरोना काल के दौरान भाई-बांधव समेत महिलाओं एवं जिला प्रशासन का समय-सहायता की प्रेरणा लेकर पहुँची थीं, जो अपने पति को खो चुकी थीं और बच्चों का पालन-पोषण में तकलीफों का सामना कर रही थीं। प्रशासन ने दस-दस बच्चों का भार महिलाओं को सौंपकर उनकी काउंसलिंग कराई। बच्चों को प्रेरित करने की यह पहल उनके लिए अब तकलीफों से छुटकारा दिलाने में मदद कर रही है।
सरकार के वात्सल्य योजना के अनुसार इन बच्चों को कपड़ा-किताब, स्कूल बैग, स्टेशनरी, फीस भरने के साथ-साथ पालन-पोषण की जिम्मेदारी दी गई है। प्रशासन की इस पहल के बाद सरकार की ओर से भी बच्चों के लिए विशेष योजना शुरू की गई है, जिससे इन बच्चों के भविष्य को संवारने का रास्ता मिले और वे आगे बढ़ सकें।